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न्यायप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह

दस्तक
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हाल ही में अभिनेता सलमान खान को 2002 हिट एंड रन केस से बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है।हाईकोर्ट का कहना है कि सलमान की लैंड क्रूज़र के नीचे आकर जो जान गयी और जो लोग घायल हुए उनके जिम्मेदार सलमान नहीं है।प्रश्न ये उठता है कि फिर ये जिम्मेदार है कौन?
इन सब कवायदों के बीच प्रश्न ये है कि उस हादसे में जान गवाने वाले नरुल्ला महबूब शरीफ को इंसाफ मिला?क्या उसके परिवार का दुःख दर्द कम हुआ?अब कौन होगा उसकी मौत का जिम्मेदार?क्या तेरह वर्ष बाद नमूदार हुए सलमान के ड्राईवर अशोक सिंह से पूछा जायेगा को वो तेरह वर्ष तक कहा था और अदालत को धोके में क्यों रखा?या फिर उस क्रेन के ड्राईवर को सजा मिलेगी जिसे ना जाने कब मामले को घुमाने के लिए जन्म दे दिया गया कि उसके कारण शरीफ की मौत हुई।हाईकोर्ट का कहना है कि पुलिस ने मामले की जाँच ठीक से नहीं की तो इन पुलिसवालो का क्या होगा?अदालत का मानना है कि अभियोजन पक्ष ने इस मामले को कमजोर किया है,तो क्या अभियोजन पक्ष के उन सभी अधिकारियो को सजा मिलेगी जिन्होंने न्यायिक प्रक्रिया को कमजोर किया है।इस सभी प्रश्नो का हल मिलेगा?क्या होगा आगे?जवाब है कुछ नहीं इस केस को बंद करके इसकी फ़ाइल भी कबाड़खाने में फेक दी जायेगी।
अधिकतर लोगो का मानना है कि सलमान अभिनेता है इसलिए इस मामले को उछाला जा रहा है।इसमें कोई शक नहीं है कि सलमान अच्छे आदमी है।उनके बीइंग ह्यूमन ने कई जाने बचाने के साथ सामाजिक कार्य भी किये।जब फैसला आया तो उनकी आँख में आँसू थे।परिवार के साथ खूशीया मना रहे थे पर हादसे के वक़्त वो वहा मौजूद थे ये अदालत का भी मानना है और वहाँ से भागना मजबूरी थी।तो सलमान को उस परिवार की आंसू व् दर्द नहीं दिखाई दीये।कुछ मत है कि फूटपाथ सोने के लिए नहीं है सरकार को इस हेतु कानून बनाना चाहिए।पर ये भी जानना चाहिए कि लाखो लोगो की मजबूरी है फूटपाथ पर सोना।दरअसल हे वही लोग है जो दिनभर की ताबड़तोड़ मेहनत करते और शाम में अपने पसंदीदा नायक की बजरंगी भाईजान या दबंग देखकर आते है फिर खुले आसमान के नीचे सो जाते है।उन्होंने ये मान लिया है कि उनकी मौत आसमान के नीचे सड़क पर ही होगी।पर क्या वो इन्साफ के हक़दार नहीं है।
इस फैसले ने भारतीय न्याय प्रणाली पर दोबारा कई प्रश्न खड़े कर दिए है।भारतीय फ़िल्म जॉली एलएलबी में नायक जज से कहता है कि”जज साहब कोर्ट के बाहर सब आपका मजाक उड़ाते है।आपके नाम पर जोक भेजते हैं।आपका मजाक बनाया जा रहा है।इन लोगों ने कार का ट्रक बना दिया कुछ दिन में ट्रक की ट्रेन बना देंगे।इन मजदूरो का फूटपाथ के अलावा कोई सहारा नही है इन्हें इन्साफ दे दीजिये ये मत छिनीये साहब।”ये बात सत्य साबित हो रही है।ये कैसी न्याय प्रणाली है जो सिर्फ रूपयेदारो के लिए है।क्या जिनके पास सबूत नहीं होते,रुपये नहीं होते वो बेकसूर नहीं होते,उन्हें न्याय कैसे मिलेगा?क्या इसी तरह एक तबका अपनी जान गवाता रहेगा और दूसरा तबका चैन से घर सोयेगा।न्यायालय के पास अवसर था इस मामले में सजा सुनाकर अपनी छवि ठीक करने का पर ये मात्र मुगालते ही रह जायेगे।
खैर, अब नायक सजा से मुक्त है,मनोरंजन दुनिया से जुड़े शेयर बाजार में भी चार फीसदी इजाफ़ा हो गया है।सोशल मीडिया पर तंज कस्ते हुए कोई लिखता है की ये काम उसी कार का है जो जान बूझकर एक जान ले गयी तो होठ मुस्कराना बंद कर देते है और दिमाग सोचने लगता है कि सलमान “शरीफ़” निकले और शरीफ़ “बदनसीब”।

लोकेश सिंह
खंडवा (म.प्र)
मोब:-+918871400231

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